बुंदेलखण्ड की एक बहुत ही पिछड़ी ग्राम पंचायत पालदेव को मैंने नवम्बर 2014 में सांसद आदर्श ग्राम योजना के अन्तर्गत काम करने के लिए चुना। यह ग्राम पंचायत मध्य प्रदेश के सतना जिले में उत्तर प्रदेश की सीमा पर स्थित है। यहाँ की 75 प्रतिशत आबादी अनुसूचित जाति, जन-जाति तथा पिछड़े वर्ग से आती है। सीमावर्ती इलाका होने के कारण डकैतों के खौफ के साये में रहने वाले इस गाँव में विकास का स्पर्श सही ढंग से नहीं पहुँच पाता था। खेती ही इस गाँव की जीविका का मुख्य साधन था। ऐसी परिस्थितियों में जब हमने 15 महीने पहले इस गाँव में समाज की चेतना को जगाकर उसे अपने दम पर खड़ा करने की कोशिश शुरू की, तो हमें सबसे बड़ा सहयोग वहाँ की महिलाओं ने दिया। 
महिलाओं ने बढ़-चढ़ कर हमारे हर प्रयास में भाग लिया। चाहे वह अपने बच्चों को समय से स्कूल भेजना हो या बच्चों को स्कूल में सिखाए गए स्वास्थ्य, स्वच्छता, पढ़ाई तथा अच्छे आचरण सम्बन्धी ज्ञान का अभ्यास कराना हो, हर कदम पर उन्होंने गाँव के विकास के लिए किये गये हमारे प्रयासों में हाथ बँटाया। महिलाओं ने एकजुट होकर न केवल अपने स्व-सहायता समूह बनाए बल्कि उन समूहों को सुचारू रूप से चलाकर मासिक बचत द्वारा अपने आर्थिक विकास की आधारशिला भी तैयार की। महिलाओं के सक्रिय सहयोग से ही पूरे गाँव ने सुकन्या-समृद्धि, जनधन खाता, दुर्घटना बीमा, जीवन बीमा, अटल पेंशन इत्यादि योजनाओं से जुड़ कर उनका पूरा लाभ उठाया। यह पालदेव की महिलाओं की जागरुकता का ही परिणाम था, कि कुपोषण की समस्या वाले कुल 96 बच्चों को मात्र एक वर्ष के अंदर हम अपनी देखरेख में इससे बाहर ला पाने में सफल हुए। और तो और, फलदार वृक्ष लगाने से लेकर कौशल विकास हेतु सिलाई-कढ़ाई प्रशिक्षण जैसे हर कार्यक्रम में उन्होंने रुचि दिखाकर गाँव के विकास के लिए हमारे साथ कदम से कदम मिलाया।
गाँव में महिलाओं के साथ सक्रिय रूप से जुड़ने के बाद हमने पाया कि उनके शारीरिक स्वास्थ्य में भी बहुत कमियाँ थीं। इसके बहुत से कारण थे, पर उसमें एक सबसे बड़ी वजह थी उपयुक्त व्यायाम का अभाव। इसी परिस्थिति को समझकर हमने पालदेव में महिलाओं के बीच एक अनूठी पहल की। गाँव में हमारे प्रयासों को धरातल पर उतारने के लिए एक समाज शिल्पी दंपत्ति का हमने चयन किया। सबसे पहले हमने इस युगल को दिल्ली बुलाकर सामान्य उपकरण बॉल, बोर्ड, इलास्टिक बैंड, रस्सी इत्यादि वाले सरल और सुलभ व्यायाम का अभ्यास और प्रशिक्षण दिया। फिर इसी युगल के माध्यम से हमने गाँव में घूम-घूम कर महिलाओं व युवतियों को इसमें भाग लेने के लिए प्रेरित किया। परिणाम यह हुआ, कि जहाँ पहले दिन सिर्फ 3 लड़कियाँ व्यायाम करने पहुचीं, आज 2 महीनों के बाद इनकी संख्या बढ़कर लगभग 45-50 हो गयी है। महिलाऐं अपने शारीरिक स्वास्थ्य पर बल देने की आवश्यकता न केवल समझ रहीं हैं बल्कि दिनों दिन औरों को भी इससे जोड़ने का प्रयास कर रहीं हैं। 
मेरा हमेशा से मानना रहा है कि सभी महिलाओं में साहस, संवेदना और अनवरत परिश्रम, खासकर ये तीन विशेष गुण होते हैं। इसलिए अवसर मिलने पर वह और अधिक सक्रियता से सामाजिक जीवन में परिवर्तन और विकास को गति प्रदान करतीं हैं। हज़ारों सालों से महिलाओं की इस अपार ऊर्जा का समुचित उपयोग हम नहीं कर पाये हैं और इससे विश्व का एक बहुत बड़ा नुकसान हुआ है। आज अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर मेरी यही आशा है कि स्त्री शक्ति को उसका उचित अधिकार और अवसर मिले, क्योंकि मुझे विश्वास है कि महिलाओं को जहाँ जहाँ थोड़ा भी अवसर मिला है उन्होंने आगे आ कर अपनी प्रतिभा का लोहा उस क्षेत्र में मनवाया है। (Shri Prakash Javadekar is the Union Minister of State for Environment, Forests and Climate Change)
Source: My Gov.in
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